शीत लहर का आगमन हमें आने वाले अनेको उत्सवों का अहसास दिलाता है। सम्पूर्ण विश्व में सर्दियाँ आते ही तरह तरह के त्योहारों का सिलसिला आरम्भ हो जाता है। इन उत्सवों में साज सजावट के अतिरिक्त भिन्न भिन्न प्रकार के व्यंजनों का भी हमें आनंद उठाने को मिलता है। इस अवसर पर आपके जीवन में थोड़ी और रोशनी भरने के लिए एवं थोड़ी और मिठास घोलने के लिए विश्व हिन्दी ज्योति ने अपनी त्रैमासिक पत्रिका “हिंदी कौस्तुभ” का अगला अंक “उत्सव विशेषांक” प्रकाशित किया है। इसके जरिये हम लोगों का हिन्दी और उसकी महिमा से साक्षात्कार कराना चाहते हैं। यह पत्रिका हिन्दी भाषा प्रेमियों को एक मंच प्रदान करती है जहाँ वह अपनी बात अपने ढंग से कह सकते हैं। फिर चाहे वह शब्दों के माध्यम से व्यक्त करी जाए या किसी और कला के माध्यम से। हमारी भाषा हमारी पहचान है और हमें हमारी माटी से जोड़े रहती है। विश्व हिन्दी ज्योति के सभी सदस्यों ने इस प्रयास में अपना भरपूर योगदान दिया है। कृपया इस पत्रिका को ज़्यादा से ज़्यादा लोगों तक पहुँचायें और अपनी प्रतिपुष्टि अवश्य प्रदान करें। अगर आप या आपके बच्चे भी लिखते हैं तो अपनी रचनाएँ आप vihijpatrika@gmail.com पर भेज सकते हैं।
– मनीष श्रीवास्तव